कुलगीत 
 
राजकीय महिला महाविद्यालय
जय हो सदा जय! जय! हो सदा।
उत्तर में रामगंगा, दक्षिण में गंगा बहे,
श्रद्धा, सत्य, संयम का संगम है ये।
प्रेम और शान्ति, सद्भावना से
बदायूँ की माटी पर शोभित है ये॥1॥
 
संस्कृति की धरती ये, संस्कृत की नगरी है,
साहित्य और दर्शन से सुरभित है ये।
शिक्षा, अहिंसा, करुणा का दीप
हम सब जलाने मिलकर चले॥2॥
 
सर्वधर्म समभाव, एकता का मन्त्र लिये,
नारियों की शक्ति का अभिमान है।
राजकीय महिला महाविद्यालय
ज्ञान-विज्ञान से अनुपम रहे॥3॥
 
राजकीय महिला महाविद्यालय
जय हो सदा जय! जय! हो सदा॥
 
रचयिता
डॉ० ऋषभ भारद्वाज
असिस्टेंट प्रोफेसर भौतिक विज्ञान
 
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